हमारे देश के संविधान में नागरिकों को क्या अधिकार प्रदान किए गए हैं? इनमें मौलिक अधिकार कितने हैं? उसके कर्त्तव्य क्या हैं? आदि के बारे में जानना केवल इसलिए आवश्यक नहीं है कि ये प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुतायत से पूछे जाते हैं
वरन इनके बारे में जानना इसलिए भी आवश्यक है कि प्रत्येक नागरिक को उसके संविधान के बारे में जानकारी होनी ही चाहिए।
अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति उसे सजग होना ही चाहिए। आज इस पोस्ट में हम यही कोशिश करेंगे। आपको बताएंगे कि भारत के संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं?
स्तों, इससे पूर्व कि हम भारत के संविधान में कुल अनुच्छेद की बात करें एवं भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को जानें, पहले यह जानना जरूरी है कि संविधान क्या है? (What is constitution?) आपको बता दें कि यह किसी भी देश का मौलिक कानून है।
यह सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा एवं मुख्य कार्यों का निर्धारण करता है। यह सरकार एवं देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है। सरकार के मुख्य अंगों विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की व्यवस्था करता है।
यह नागरिकों के अधिकारों एवं स्वतंत्रता (rights and freedom) की रक्षा करता है। साथ ही राज्य को वैचारिक समर्थन एवं वैधता प्रदान करता है। भविष्य के मद्देनजर यह आदर्श शासन संरचना का भी निर्माण करता है।
संविधान में भारतीय नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार दिए गए हैं-समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरूद्ध अधिकार, सांस्कृतिक एवं शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक उपचार का अधिकार।
संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। ऐसा 44वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा किया गया।
आज से करीब 44 वर्ष पूर्व 1978 में संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की श्रेणी से बाहर किया गया। अब यह कानूनी अधिकार के अंतर्गत आता है।
भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार |संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं? अधिक जानकारी के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें?