भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां चुनाव को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। अगले वर्ष के आरंभ में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।
इसी बीच केंद्र सरकार चुनाव प्रक्रिया में सुधार एवं इसे साफ-सुथरी तथा बेहतर बनाने के नाम पर चुनाव सुधार कानून (संशोधन) विधेयक लेकर आई है, जिसने सियासत का पारा चढ़ा दिया है।
दोस्तों, आपको बता दें कि इस बिल यानी चुनाव सुधार कानून (संशोधन) विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट (cabinet) की मंजूरी के बाद लोकसभा एवं राज्यसभा में भी हरी झंडी मिल चुकी है।
इसके अंतर्गत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम -1950 एवं 1951 में संशोधन (ammendment) का प्रस्ताव किया गया है।
मुख्य रूप से आधार कार्ड (aadhar card) को वोटर आईडी (voter ID) से लिंक (link) करने का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि इससे मतदाता का पता वेरिफाई करने में सहायता मिलेगी
जिससे मतदान (voting) में फर्जीवाड़े (fraud) पर रोक लगेगी। फिलहाल उसके अनुसार ऐसा करना ऐच्छिक होगा, अनिवार्य नहीं।
चुनाव सुधार कानून (संशोधन) विधेयक में केंद्र ने नए मतदाताओं के लिए चार कट आफ डेट तय की हैं। एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई एवं एक अक्टूबर।
इसी कानून की धारा-169 के तहत चुनाव आयोग के परामर्श से केंद्र सरकार (central government) ने निर्वाचक पंजीकरण नियम (voter registration laws)-1961 बनाए थे।
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