यदि आप भी उन्हीं में से एक हैं तो चिंता की कोई बात नही। आज हम आपको बादल फटने के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

बादल फटना किसे कहते हैं?

यदि किसी स्थान पर एक घंटे के दौरान 10 सेंटीमीटर यानी 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती है, तो इसे बादल फटने (cloud burst) की संज्ञा दी जाती है।

बादल क्यों फटता है?

दोस्तों, आपको जानकारी दे दें कि बादल फटने की घटना तब होती है, जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह एकत्र हो जाते हैं। ऐसे में पानी की बूंदें आपस में एक साथ मिल जाती हैं।

पहाड़ी इलाकों में बादल अधिक क्यों फटते हैं?

मित्रों, यह एक तथ्य है कि पहाड़ी इलाकों में बादल अधिक फटते हैं। लेकिन ऐसा क्यों होता है? क्या आपने इस बारे में कभी सोचा है? दोस्तों, वैज्ञानिकों की थ्योरी के अनुसार पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं। काफी ऊंचाई होने की वजह से वे आगे नहीं बढ़ पाते।

बादल किस ऊंचाई पर फटते हैं?

साथियों, आपने अक्सर आकाश में काले-काले व रूई जैसे बादलों को देखा होगा। दरअसल, नीचाई पर एकत्र होने वाले यह बादल ही अपना भार न संभाल पाने के कारण फटते हैं।

क्या बादल फटने को लेकर अभी तक कोई अलार्म सिस्टम बना है?

मित्रों, मौसम विभाग की ओर से अक्सर अत्यधिक बारिश को लेकर अलर्ट (alert) घोषित किया जाता है। इसे देखते हुए एहतियाती कदम उठाया जाता है। जैसे हिमालयी राज्यों (Himalayan region states) में होने वाली धार्मिक एवं अन्य यात्राओं को मौसम ठीक होने तक रोक दिया जाता है।

इसी एक महीने में बादल फटने की कितनी घटनाएं हुई हैं?

इसी एक महीने के भीतर बादल फटने की दो बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। एक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में वह दूसरी जम्मू कश्मीर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा के समीप।

पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने से जान माल का अधिक नुकसान क्यों होता है?

दोस्तों, पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने से जान माल का अत्यधिक नुकसान होता है, क्योंकि अत्यधिक बारिश की वजह से पानी के तेज बहाव के साथ-साथ मिट्टी, मलबा पत्थर, चट्टानें आदि भी बह जाती हैं। कई जगह भूस्खलन भी होता है।

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