इन दिनों लोग इलेक्ट्रिक वाहनों (electric vehicles) की खरीद को लोग प्रमुखता दे रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण प्रदूषण के बढ़ते खतरे को रोकना है तो वहीं पेट्रोल-डीजल की महंगी दरों से अपनी जेब को बचाना भी है।

सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण एवं बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए भारी-भरकम सब्सिडी (subsidy) दे रही हैं।

इन वाहनों में लोगो को बैटरी (battery) को चार्ज (charge) करने से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहरों में चार्जिंग स्टेशन (charging station) के लिए जगह कम पड़ रही है।

ऐसी स्थिति में सरकार ने आम बजट-2022-23 में बैटरी स्वैपिंग पाॅलिसी (battery swaping policy) लाए जाने की घोषणा की है। आज इस पोस्ट में हम आपको बैटरी स्वैपिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

 बैटरी स्वैपिंग (battery swaping) का क्या अर्थ है। मित्रों, इसका सीधा सा अर्थ यह है कि यदि किसी व्यक्ति के इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicles) की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है तो वह बजाय इसे चार्ज करने के अपनी बैटरी को पहले से चार्ज बैटरी से रिप्लेस (replace) कर सकता है।

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से एक फरवरी, 2002 को पेश किए देश के आम बजट में इंटर आपरेबिलिटी के मानक तय करने की बात कही गई है।

यदि यह मानक तय हो जाते हैं कि विभिन्न ब्रांड एवं कंपनियों की गाड़ी के लिए एक ही जगह से बैटरी स्वैपिंग करना आसान होगा।

बैटरी स्वैपिंग पालिसी क्या है? इसकी अधिक जानकारी के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें?