देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल कोई बेहतर नहीं। ग्रामीण इलाकों में तो हालात और बदतर हैं। कई गांवों में स्वास्थ्य केंद्र नाम की चीज तक नहीं। स्वास्थ्य केंद्र हैं तो डाॅक्टर नहीं। कई डाॅक्टरों गांवों में ज्वाइनिंग तो देते हैं, लेकिन काम पर नहीं पहुंचते।
स्टाफ की कमी निरंतर बनी रहती है। इसके अलावा चिकित्सा उपकरणों का अभाव भी एक सतत समस्या है। शहरी इलाकों में अस्पताल तो हैं, लेकिन जहां निजी अस्पतालों में लूट चरम पर है, वहीं सरकारी अस्पतालों में मरीजों के हिसाब से सुविधाओं की कमी।
महिलाओं के प्रसव की बात करें तो शहरों में जहां स्थिति सुधरी है, वहीं आज भी कई गांवों में दाई के हाथों ही प्रसव कराया जाता है। पहाड़ की बात करें तो कई गांव इतने दूरस्थ हैं कि वहां चिकित्सा, स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर हैं।
मुख्य मार्ग तक आने या अस्पताल के लिए वाहन लेने तक मरीज की जान चली जाती है। कई परिवार बेहद विपन्न होते हैं, जो गर्भवती महिला को सही से पोषण भी मुहैया नहीं करा पाते। इससे प्रसव के वक्त गर्भवती महिला की जान पर बन आती है तो कई बार प्रसव के बाद बच्चा भी कुपोषण का शिकार हो जाता है।
इन सब बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र जननी सुरक्षा योजना चला रही है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इसी की जानकारी देंगे। आइए, शुरू करते हैं-
देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल कोई बेहतर नहीं। ग्रामीण इलाकों में तो हालात और बदतर हैं। कई गांवों में स्वास्थ्य केंद्र नाम की चीज तक नहीं। स्वास्थ्य केंद्र हैं तो डाॅक्टर नहीं। कई डाॅक्टरों गांवों में ज्वाइनिंग तो देते हैं, लेकिन काम पर नहीं पहुंचते।
योजना के तहत गर्भवतियों की सारी जांच और बच्चे की डिलीवरी फ्री में होती है। प्रसव के बाद पांच साल तक बच्चे का टीकाकरण भी होता है। शहरी क्षेत्र की महिलाओं को इस योजना के अंतर्गत एक हजार रूपये दिए जाते हैं।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए एमसीडीएस पोर्टल पर गर्भवती महिलाओं को को अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा तभी इस योजना का लाभ मिलेगा
जननी सुरक्षा योजना की अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें?